
काफ़िर …. !!
पता नहीं किस गुनाह की माफ़ी में हर आते जाते रास्तों पर दो चार सिक्के बाँट आता । रिश्ता भी रखता हूँ दोस्ती का, फिक्र भी और इबादत भी करता, …
काफ़िर …. !! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
पता नहीं किस गुनाह की माफ़ी में हर आते जाते रास्तों पर दो चार सिक्के बाँट आता । रिश्ता भी रखता हूँ दोस्ती का, फिक्र भी और इबादत भी करता, …
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