दूर से ये रिश्ता …
बहुत दूर से ये रिश्ता, धुँधला धुँधला सा लगता, कभी कभी आकर वो इसे, इक नाम दे जातें है ! हाँ में रुकसत भी नहीं करता, ना ही थामता हूँ …
दूर से ये रिश्ता … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
बहुत दूर से ये रिश्ता, धुँधला धुँधला सा लगता, कभी कभी आकर वो इसे, इक नाम दे जातें है ! हाँ में रुकसत भी नहीं करता, ना ही थामता हूँ …
दूर से ये रिश्ता … Read Moreदुरी चंद कदमो की, ये कैसा फासला था ! अनजान सिमट कर रह जाता हूँ , ये कैसा आसरा था ! खायालात ख़ामोशी का हाथ थामे चल रहे , कहाँ …
दुरी चंद कदमो की, ये कैसा फासला था ! – On Way of Life Read More