स्नेह भी कभी मरता क्या ?

स्नेह भी कभी मरता क्या, फासलों से ये खामोश पड़ जाता, कुछ बातों से आँखों में तर हो जाता ! बेजान बेजार ही रह ये जाता मन में, सोचता फिक्र …

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