सोशल मीडिया की आलोचना करना वर्तमान संदर्भ में सर्वथा उचित नही है !
हर पक्ष के दो पहलु होते, परमाणु बम सी विध्वंशक शक्ति का उपयोग जापान के ऊपर विध्वंश के लिये हुआ, उसी जापान ने इसी परमाणु के उपयोग से विकास की परिभाषा लिख दी !
विज्ञान तो हमारे हांथो में एक शक्ति के तरह है – अब हम सृजन के शिल्पी बनते या विनाश के नायक..
दूरसंचार सेवाओं पर प्रतिबन्ध, सोशल मीडिया साईट पर सेंसर-व्यवस्था करना मुलत: समस्या का हल नही है !
सोशल मीडिया साईट पर आपत्तिजनक चीजों का सर्वत्र हो जाना, या हमारी ही समस्या को उजागर करता, ये दर्शाता विज्ञान की ढोल पिटने में हम कहीं पीछे छुट गए है!
सरकार को नयी टेक्नोलोजी में सामंजस्य की पहल करनी चाहिए, सोशल मीडिया विशेषज्ञ की नियुक्ति, साइबर अपराध और नियंत्रण से जुरे विभागों को विकसित कर, कुशल लोगों को सम्मिलित करना, इस रूढ़ि प्रथा को तोड़ राजनीतिज्ञो को भी इस नयी पीढ़ी से कदमताल करना पड़ेगा !
अब विध्वंस या विकास किस पथ जाना ये खुद तय करना !
सुजीत