बस ओहदे बनने की होड़ में ;
हमने इंसान बनना छोड़ दिया ।
तू मैं और मैं तू के शोर में ;
हमने बातें सुनना छोड़ दिया ।
बस संदेशों की आवाजाही में ;
हमने मिलना जुलना छोड़ दिया ।
मिला खुदा नहीं जो पत्थर में ;
हमने दुआ माँगना छोड़ दिया ।
कुछ मोड़ आये जो इन रस्तों में ;
हमने चलना फिरना ही छोड़ दिया ।
मजहब थे बंधे हुए जिस डोर में ;
हमने उसके टुकड़े करके है छोड़ दिया ।
थोड़ी तल्खी थी आयी उसमें ;
हमने अपना कहना ही छोड़ दिया ।
बस ओहदे बनने की होड़ में ;
हमने इंसान बनना अब छोड़ दिया ।
#पागलदुनिया