शहीदो की मजारो पर लगेगे हर वर्ष ये मेले
वतन पर मरने वाले का आखिर यही निशा होगा!
मुझे तोर लेना वनमाली उस पथ पर तुम देना फेक
मातृभूमि पर शीश चराहने जिस पथ जाये वीर अनेक !
जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है
वो नर नही पशु ही निरा अरु मृतक समान है !
पत्थर की मुरतो में समझा था तू खुदा है
खाके वतन का हर जर्रा जर्रा देवता है !
जो भरा नही है भावो से जिसमे बहती रसधार नही
वो हृदय नही वो पत्थर है जिसमे स्वदेश का प्यार नही !
लड़ैगै आखिरी दम तक जब तक है दम में दम
वतन ए वास्ते बन्दे सजाये मौत भी है कम
संकलित ऍवं प्रेषित : सुजीत कुमार लक्कीं
rape hotey hain yaha 6 maheene ki girls ke ye desh hai hamara bharat mahaan