वक्त के किसी दोराहे पर खरे !
अच्छाई और बुराई के अंतरद्वंद में घिरे !
हरिवंश राय बच्चन जी की कुछ पंकियो को ,
आप अपने जिंदगी के बहुत करीब पाओगे !
शायद कई उलझे सवालो का जवाब इस कविता में है !!
मैंने शांति नहीं जानी है !– हरिवंश राय बच्चन
मैंने शांति नहीं जानी है !
त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी ,
त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी ,
दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है !
मैंने शांति नहीं मानी है !
आयु बिता दी यत्नों में लग ,
उसी जगह मैं , उसी जगह जग ,
कभी – कभी सोचा करता अब , क्या मैंने की नादानी है !
मैंने शांति नहीं जानी है !
पर निराश होऊं किस कारण ,
क्या पर्याप्त नहीं आशवासन ?
दुनिया से मानी , अपने से मैंने हार नहीं मानी है !
मैंने शांति नहीं जानी है
प्रेषित : सुजीत कुमार लक्की
5 thoughts on “I am competing with Myself – Life Motivating Poem By हरिवंश राय बच्चन”
Udan Tashtari
(August 23, 2010 - 11:22 pm)आभार यह रचना पढ़वाने का.
संगीता पुरी
(August 24, 2010 - 6:01 am)इस रचना के लिए आभार .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
Arvind Mishra
(August 24, 2010 - 2:20 pm)सुन्दर !
हरकीरत ' हीर'
(August 27, 2010 - 8:42 am)मैंने शांति नहीं जानी है !
त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी ,
त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी ,
दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है !
अपनी की गलतियों का एहसास होना भी बहुत जरुरी है ……
बच्चन जी की यह कविता जीवन जीने की प्रेरणा देती है …..!!
Siya ram sharma
(December 15, 2015 - 6:43 am)जीबन की सच्चाई से रूबरू कराती पंक्तियाँ औऱ हार न मान ने की प्रेरणा से भरी ‘बच्चन’जी की कविता।
धन्यवाद ।
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