सजदे सा झुक जाता हूँ,
ऐसी है कुछ साथ तेरी !
कभी ख्वाबो में कभी यादों में,
होती तेरी बात कई !
गिरते कदमें जब मेरी,
दिख जाता तब साथ कोई !
हर शाम सुबह कितने बन गुजरे,
तुम होते और हर पल जैसे बात नई !
कभी किसी लम्हों पर रूठा बिफरा,
कितने ऐसे फिर स्नेह है उमड़ा !
ना पहर न पल तक सिमटी याद यही,
संग हो इस तरह, न कोई रही तलाश कभी !
जिंदगी अनगिनत लहरों सी आती,
कभी खोये रंगो में सी बन जाती,
फिर तेरी बातें ….
एक सुर्ख रंग सी भर जाती !
ये दोस्ती अहसास है, इसके बिना जैसे जिंदगी बिना रंगों के तस्वीर, बिन शब्दों की कविता !
अनेको मायने इसके, विस्तृत भावों में निहित, न अभिलाषा इसकी कोई ! एक प्रेरणास्रो़त ;
उतनी ही निश्छल, जैसे मंदिर का आँगन, तो नटखटपन खींच तान ! हम इंसान क्या ;
भगवान भी इससे अछुते नहीं ! जिंदगी में रंग भरती ये दोस्ती .. हर पल ..
#Sujit