Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज
5 thoughts on “तू भी मेरे ठोकरों पर हँस ले – A Thought”
Udan Tashtari
(April 11, 2010 - 12:51 am)बढ़िया!
Shekhar kumawat
(April 11, 2010 - 4:37 pm)बहुत अच्छी प्रस्तुति
bahut khub
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
sakhi with feelings
(April 18, 2010 - 6:28 pm)क्या बात है
बहुत अच्छा लिखा है
संजय भास्कर
(May 15, 2010 - 7:07 am)बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
Govind Kumar
(September 11, 2010 - 10:23 am)bahut achh hai
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