जीने का कुछ ढंग बदला,
हमने भी अपना रंग बदला..
छत पर एंटीना की जगह ,
अब डिश टीवी ने ले ली..
कपड़े मे T-shirt का चलन बढ़ गया..
पर ‘T-shirt’ का ‘T’ कुछ ज्यदा ही लंबा हो गया..
मिलते जुलते अब थक गए है हम,
और ‘Facebbok’ पर बस रह गए है हम ..
मोबाइल से चिट्ठी तारे हो गयी कम ,
‘call u later’, ‘busy ‘ ये थे हमारे नए गम ..
माँ अब तेरी बातों को नही मान पाते हम..
न वक्त से खाते, पता नही कब सोते है हम..
कब तक इस दुनिया मे सीधे और सभ्य बन के बैठे..
पिताजी की इन बातों से शायद अब खीच बैठे हम अपने कदम !
वक्त ने अपनी चाल चल ली है,
चलो बढा ले हम अपने भी कदम..
रचना : सुजीत कुमार लक्की
2 thoughts on “जीने के बदले है ढंग – A Social Media Life !”
Udan Tashtari
(July 27, 2010 - 10:24 pm)बहुत बढ़िया.
संजय भास्कर
(July 30, 2010 - 5:28 pm)कपड़े मे T-shirt का चलन बढ़ गया..
बहुत खूब, लाजबाब !
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