कुछ खोया सा अहसास फिर आस पास था !
देखा चंद सवालों में लिपटे तेरे चेहरे,
पूछा क्यों सबब फिर तेरी ख़ामोशी,
शिकन बन तेरे चेहरे पर जो लौट आई !
जिक्र करो थोरी सी किस कदर ठहर गयी,
ये जिंदगी …
चलो ढूंड लाये उसे किसी मक़ाम से कहीं !
वक्त ठहरा हुआ जो ये आ लिपटा,
ये तो बीतता पल है हर रोज नजाने !
कल किस कदर कहाँ जिंदगी,
आसां फैसलों पर कब बन परती !
चलो ढूंड लाये जिंदगी …!!!