चलो फिर दीप जलाये अपने आँगन मे इसबार,
थोरे सुनी परी थी जो गलियां, उन्हें जगाए इस बार,
धुल पर चुकी थी, दरख्तों पर उन्हें हटाये इस बार,
चलो अपने आँगन मे दिवाली मनाये इस बार !
उमंगें थोरी धीमी जरुर पर गयी है,
थमा के देखो किसी मायूस बचपन के हाथों मे फुलझरिया,
भर दो वंचित हाथों मे मिठाईयां ..
तब होगी खुशियों यूँ चहुओर ..
मन मे फिर मच रहा उमंगो का शोर …
चलो जलाये दीप आंगन मे हर ओर !
इस कदर रफ़्तार तेज हुई ...
खो गयी कहीं मिट्टी के घरोंदे और रुई की बाती ,
गुम सी हो गयी कहीं दीपों की रौशनी ..
आज इस पर्व पर प्रकाश नही दिख रहा ..
यह तो बस चकाचोंध है, कृत्रिम बल्बों का ..
किस किस रूपों मे ढले मोम्बतियों का ! !
बस हमे तो इन्तेजार है आज भी ,
माँ से मिलने वाले 50 रूपये का ..
और पापा से मिलने वाले डॉट का
की पटाखे दूर से चलाये ! !
बस , हम चले अपने आँगन मे दिवाली मनाने इस बार !
रचना : सुजीत कुमार लक्की
दीपावली की शुभकामनायें …..!!
खो गयी कहीं मिट्टी के घरोंदे और रुई की बाती ,
गुम सी हो गयी कहीं दीपों की रौशनी ..
आज इस पर्व पर प्रकाश नही दिख रहा ..
यह तो बस चकाचोंध है, कृत्रिम बल्बों का ..
किस किस रूपों मे ढले मोम्बतियों का ! !
बहुत सुंदर सुजीत जी… आपको भो दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत बेहतरीन!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ‘समीर’
बहुत ही प्रेरणादायी सकारात्मक आलोक से दीप्त पंक्तियाँ …आभार !
आपको सपरिवार प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
सुन्दर रचना के लिये बधाई।आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
Thnx for comments and support …दीवाली की हार्दिक शुभ कामनाये ..शुभ दीपावली ! ! ☼ ♫
सुन्दर रचना …आपको और आपके परिवार को दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
यह तो बस चकाचोंध है, कृत्रिम बल्बों का ..
किस किस रूपों मे ढले मोम्बतियों का ! !
satya likha hai!
दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएं
sunder abhivaykti