यतार्थ कुछ भी नही है ..
बस लहरों का एक सैलाब;
आता और बिखेर देता सारी;
बनाई तसवीरें !
समेट के लौट आया वहाँ से,
वो अधूरी तसवीरें अब यादों में;
फिर सोचुगा बनाऊंगा उसे,
जोड़ुगा हर उलझे हिस्से !
रेतें, यादें, शिकन की कितनी लकीरें,
पथरीली राहें, बेजार मन, कितनी यादें परी,
रात लंबी है परी कुछ तस्वीरें बनाने को !
SK
Image : http://www.huffingtonpost.com/james-elkins/post_1691_b_819376.html