ये सन्नाटा फिजाओं का,
किसी तुफां से कम नहीं !
ये ख़ामोशी ..मेरी खता पर
किसी सजा से कम नहीं .. !
धुल सरीखी राहें और रेत के फाहे..
उड़ा ले जाये ऐसे तो हम नहीं !
ये राह मेरी, चाह मेरी..फिर
साथ चलने ना चलने का गम नहीं !
थोरी गुजारिश ! ..
गुमराह है ..भटके से भले है..
मुझे खबर नही मेरे मंजिल की ..
ना साथ आना , ना छोर जाना ! ..
© सुजीत