छुपते नही आंसू आब इन चेहरों में ,
इसे निकलने का एक जरिया दे दे !
बहुत मायूस इस भीड़ में हम,
बस रोने का एक कंधा दे दे !
बहुत लड़ चूका अपनी कीस्मत से ….
ए मेरे खुदा तू मुझे कब तक आज्म्येगा …..
एक रोज की साम ही थी ये क्रिकेट मैच लेकिन ,
कुछ उमीदो को यूँ ढहते देख मन वेदना से भर गया,
आज पहली बार sachin के आँखों में ३ रन की अहमियत देखी,
लग रही थी आंसू के सैलाब को भीड़ ने रोक रखा हो
बस हमारा मन भी भावनाओ से आहात हुआ जा रहा
काश हम जीत जाते , एक शतकवीर ३ रन के लए तरस गया ..
Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज
सच कहा है बहुत … बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले . कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें . कृपया मेरे भी ब्लागस देखे और टिप्पणी दे http://manoj-soni.blogspot.com/
Pleeszzz Let me know where did you get this wonderful blogs template from. Please help me. My email is chandar30@gmail.com Regards Chandar Meher You are cordially invited to: lifemazedar.blogspot.com
खेल तो खेल है फिर भी – लग रही थी आंसू के सैलाब को भीड़ ने रोक रखा हो बस हमारा मन भी भावनाओ से आहात हुआ जा रहा काश हम जीत जाते, एक सतकवीर ३ रन के लए तरस गया .. भावनात्मक एवं प्रशंसनीय.
13 thoughts on “एक क्रिकेट मैच की वेदना”
Udan Tashtari
(November 5, 2009 - 8:03 pm)खेल है..क्या करियेगा.
सुलभ सतरंगी
(November 6, 2009 - 9:18 am)इस खेल ने सब कुछ दिया हमको
फिर भी मंजिल मुझसे रूठी बैठ है.
…सिर्फ यही कह सकता हूँ मैं सचिन की पीडा देखकर.
Nitin Singh Prins
(November 9, 2009 - 1:04 pm)Bachpan k dukh bhi kitne achhe the!
Tub to shirf khilone tuta karte the !!
wo khushiya bhi na jane kaisi khusiya thi!
Titli pakad k uchhala karte the !!
Paon mar k khud barish k pani me!
apne aap ko bhigoya karte the!!
Ab to ak aansu bhi rusva kar jate hai!
Bachpan me to dil khol k roya karte the!!
http://prinsnitin.blogspot.com/
डा. मेराज अहमद
(November 10, 2009 - 2:44 pm)स्वागत!
बहुत खूब
http://samaysrijan.blogspot.com
http://swarsrijan.blogspot.com
Manoj Kumar Soni
(November 10, 2009 - 2:55 pm)सच कहा है
बहुत … बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले .
कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें .
कृपया मेरे भी ब्लागस देखे और टिप्पणी दे
http://manoj-soni.blogspot.com/
uthojago
(November 11, 2009 - 6:30 am)spotsman spirit is worthwile
Avtar Meher Baba
(November 11, 2009 - 2:31 pm)Pleeszzz Let me know where did you get this wonderful blogs template from. Please help me.
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Regards
Chandar Meher
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डॉ. राधेश्याम शुक्ल
(November 11, 2009 - 4:46 pm)aur bhi gam hain duniya men khelon ke siva.swagat.
Amit K Sagar
(November 12, 2009 - 1:52 pm)बहुत अच्छा प्रयास है.
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जारी रहें. शुभकामनायें.
—
महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!
sanjaygrover
(November 14, 2009 - 8:53 am)हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं…….
इधर से गुज़रा था] सोचा सलाम करता चलूं
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नारदमुनि
(November 14, 2009 - 11:50 am)narayan narayan
चंदन कुमार झा
(December 5, 2009 - 5:30 pm)अजी खेल है खेल को खेल ही रहने दीजिये ।
ह्रदय पुष्प
(January 19, 2010 - 5:52 am)खेल तो खेल है फिर भी – लग रही थी आंसू के सैलाब को भीड़ ने रोक रखा हो बस हमारा मन भी भावनाओ से आहात हुआ जा रहा काश हम जीत जाते, एक सतकवीर ३ रन के लए तरस गया .. भावनात्मक एवं प्रशंसनीय.
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