क्या सपने उसके क्या मन में उसके,
सहसा इच्छाओं का इर्धन खत्म सा हो गया !
बिना उर्जा के सीधा गिरता कटीले पथरीले झारियों में,
बिखर गये पत्थरों से टकराकर उसके पंख !
टूट से पंख, लहुलुहान वो फरफराता,
उड़ने की तमाम नाकाम कोशिश नाकाफी थे,
कुछ दूर घसीटता कराहता वो निढाल निष्प्राण !
कुछ पल की खामोशी ………….
अब हवाएँ ठंढक भरी एक ओर,
सब दर्द से परे नीला आसमां बुला रहा,
खुले गगन में पुनः पंक्षी उड़ रहा था !
पुनः एक उड़ान ……………….
#SK – Some Random Thoughts …….