रात के नभ चल तारों को देखा !

कई रातें लंबी बीती थी सदियों जैसी, ऐसी तंग गलियों में युग सा था चाँद को देखा, याद हमें एक आती है जब साँझ पसरते .. उमस सी सावन होती …

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