अर्थविहीन – Meaningless
द्वन्द क्यों उठ गया आज, जैसे अतीत खाते गोते लम्हों में, दीवार पुरानी दरारे सीलन भरी, बोझिल सा हुआ इरादा सहने का, सुनी एक आवाज खुद से उठती ! ढाई …
अर्थविहीन – Meaningless Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
द्वन्द क्यों उठ गया आज, जैसे अतीत खाते गोते लम्हों में, दीवार पुरानी दरारे सीलन भरी, बोझिल सा हुआ इरादा सहने का, सुनी एक आवाज खुद से उठती ! ढाई …
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