ख़ामोशी लिपटी थी ….
कुछ यूँ बीती रात लंबी हो चली थी,दबा रखे थे सवाल कई.. तुमसे पूछेगे..!आज कोई फिर आके आवाज दे गया जैसे ! हो फिर मोह कोई तुझसे,या तृष्णा कुछ, जो …
ख़ामोशी लिपटी थी …. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
कुछ यूँ बीती रात लंबी हो चली थी,दबा रखे थे सवाल कई.. तुमसे पूछेगे..!आज कोई फिर आके आवाज दे गया जैसे ! हो फिर मोह कोई तुझसे,या तृष्णा कुछ, जो …
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