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क्योँ नही बहलाती मुझे माँ !
याद उतनी ही है तेरी इस जेहन में बसी,जैसे तेरी उँगलियाँ छु चल पड़ा इन राहों में ! और ना तुने रोका, कुछ तो कहा होता..में इन राहों में चलता …
क्योँ नही बहलाती मुझे माँ ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
याद उतनी ही है तेरी इस जेहन में बसी,जैसे तेरी उँगलियाँ छु चल पड़ा इन राहों में ! और ना तुने रोका, कुछ तो कहा होता..में इन राहों में चलता …
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