□ ■ Dreams of Night □ ■
सवा पहर का रात वो ..वक्त टूटी ..नींद छुटी,आवाज दे गए थे शायद,देखा सिरहाने कुछ लब्ज थे परे,गुनगुनाये तेरे, कह गए बात कुछ ! बीती रात का भ्रम सही या,या …
□ ■ Dreams of Night □ ■ Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
सवा पहर का रात वो ..वक्त टूटी ..नींद छुटी,आवाज दे गए थे शायद,देखा सिरहाने कुछ लब्ज थे परे,गुनगुनाये तेरे, कह गए बात कुछ ! बीती रात का भ्रम सही या,या …
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