चल दौड़ लगाये एक बार फिर, कहाँ गया तेरा हौसला ??
अनजाने में खुद ही खीच ली उम्मीदों की रेखा, अब पार जाना आसान सा नही हो रहा, खुद ही पंख पसारे उड़े थे इन आसमां में कभी, आज सहमे से …
चल दौड़ लगाये एक बार फिर, कहाँ गया तेरा हौसला ?? Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
अनजाने में खुद ही खीच ली उम्मीदों की रेखा, अब पार जाना आसान सा नही हो रहा, खुद ही पंख पसारे उड़े थे इन आसमां में कभी, आज सहमे से …
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