झींगुर – Now Life on Urban Ladder

याद है वो सन्नाटा दस सवा दस का,वो गाँव में जाते कभी छुट्टियों की रात,झींगुरों की झन्न सी अनवरत ध्वनि,आज भी कौतुहल सी करती मन में ! ये आवाज सन्नाटे …

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