लालटेन तले.. !
शाम की धमाचौकरी को एक फटकार विराम लगाती थी, पैर पखारे सब लालटेन तले अपनी टोली सी बन जाती थी! जोर जोर से पड़ते थे, हिंदी की किताबे.. लगता था …
लालटेन तले.. ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
शाम की धमाचौकरी को एक फटकार विराम लगाती थी, पैर पखारे सब लालटेन तले अपनी टोली सी बन जाती थी! जोर जोर से पड़ते थे, हिंदी की किताबे.. लगता था …
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