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बिखर सा क्यूँ गया !
ख्वाब है ..जिसको सजाने की चाहत,या झुंझलाहट है इस तोड़ देने की ! चल ही दिया दो चार कदम तो क्या,बीता ही कुछ पल साथ तो क्या ! सब कहके …
बिखर सा क्यूँ गया ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
ख्वाब है ..जिसको सजाने की चाहत,या झुंझलाहट है इस तोड़ देने की ! चल ही दिया दो चार कदम तो क्या,बीता ही कुछ पल साथ तो क्या ! सब कहके …
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