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क्या गुनाह है .. ?
है रात मुफलिसी की,ताक पर लगा नींदों को,और लगा चैन के हर कोने,चाहत सुबहों पर लगाना ! क्या गुनाह है .. ? माना नसीबों पर नहीं इख्तियार,और उम्मीदों के कितने …
क्या गुनाह है .. ? Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
है रात मुफलिसी की,ताक पर लगा नींदों को,और लगा चैन के हर कोने,चाहत सुबहों पर लगाना ! क्या गुनाह है .. ? माना नसीबों पर नहीं इख्तियार,और उम्मीदों के कितने …
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