ढूंढे तो चैन कहाँ की ..
बैचनी जैसे शब्द इन्तहा की, कभी बन जाते दर्द ये जुबां की .. चुप सी रहती, कमी है एक बयाँ की, बेचैन मन की चाह, ढूंढे तो चैन कहाँ की …
ढूंढे तो चैन कहाँ की .. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
बैचनी जैसे शब्द इन्तहा की, कभी बन जाते दर्द ये जुबां की .. चुप सी रहती, कमी है एक बयाँ की, बेचैन मन की चाह, ढूंढे तो चैन कहाँ की …
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