बंदिशें – An Urban Ode
अनजान अकेली सी है ये राहें सदियों से,करवट भी नही ले सकती ऐसी बंदिशें ! ये बड़ी ऊँची ऊँची गगनचुम्बी महलें,लगता सूखा लंबा बरगद खड़ा हो ! बेरंग सुख गयी …
बंदिशें – An Urban Ode Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
अनजान अकेली सी है ये राहें सदियों से,करवट भी नही ले सकती ऐसी बंदिशें ! ये बड़ी ऊँची ऊँची गगनचुम्बी महलें,लगता सूखा लंबा बरगद खड़ा हो ! बेरंग सुख गयी …
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