इक ख्वाब था…!
शाम अधूरी, अधखुली नींद से..इक ख्वाब था वो, अधूरा सा छुटा ! मन विस्मृत, एक डगर को चला,दूर कदम पर, एक भीढ़ सी टोली ! हाट कोई था, फल सब्जी …
इक ख्वाब था…! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
शाम अधूरी, अधखुली नींद से..इक ख्वाब था वो, अधूरा सा छुटा ! मन विस्मृत, एक डगर को चला,दूर कदम पर, एक भीढ़ सी टोली ! हाट कोई था, फल सब्जी …
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