जब सर्द की रातें है आती !
आहिस्ता आहिस्ता आगोश में आती , थोरी कपकपाती हाथों को सहलाती , ठिठुरती सिहरती ये बातें कह जाती , जब उनकी हँसी मन ही मन गुदगुदाती , ओस की बूँदें …
जब सर्द की रातें है आती ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
आहिस्ता आहिस्ता आगोश में आती , थोरी कपकपाती हाथों को सहलाती , ठिठुरती सिहरती ये बातें कह जाती , जब उनकी हँसी मन ही मन गुदगुदाती , ओस की बूँदें …
जब सर्द की रातें है आती ! Read More