बुझते अलाव सा नहीं…
दहकते आग सा बन,
दृढ प्रतिज्ञ बढ़ो ऐसे,
जीवन के विस्तार को बुन,
थकन पाँव में या लगे कांटे,
रुकना न तू अपनी रफ्तार को चुन,
जो टुटा भ्रम था वो रात था,
सुबह हुआ अब ऐसे ख्वाब तू बुन,
नव वर्ष के नए नभ में,
अपनी नई उड़ान को चुन ।।
#SK
नववर्ष पर सुंदर कविता, नववर्ष में नयी उडान लेने के लिए प्रेरित करने वाली कविता.
nice poem,
Happy New Year To All