I am competing with Myself – Life Motivating Poem By हरिवंश राय बच्चन

वक्त के किसी दोराहे पर खरे !
अच्छाई और बुराई के अंतरद्वंद में घिरे !
हरिवंश राय बच्चन जी की कुछ पंकियो को ,
आप अपने जिंदगी के बहुत करीब पाओगे !
शायद कई उलझे सवालो का जवाब इस कविता में है !!


मैंने शांति नहीं जानी है !– हरिवंश राय बच्चन

मैंने शांति नहीं जानी है !
त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी ,
त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी ,
दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है !
मैंने शांति नहीं मानी है !
आयु बिता दी यत्नों में लग ,
उसी जगह मैं , उसी जगह जग ,
कभी – कभी सोचा करता अब , क्या मैंने की नादानी है !
मैंने शांति नहीं जानी है !

पर निराश होऊं किस कारण ,
क्या पर्याप्त नहीं आशवासन ?
दुनिया से मानी , अपने से मैंने हार नहीं मानी है !
मैंने शांति नहीं जानी है

प्रेषित : सुजीत कुमार लक्की

About Sujit Kumar Lucky

Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज

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5 Comments on “I am competing with Myself – Life Motivating Poem By हरिवंश राय बच्चन”

  1. मैंने शांति नहीं जानी है !
    त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी ,
    त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी ,
    दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है !

    अपनी की गलतियों का एहसास होना भी बहुत जरुरी है ……
    बच्चन जी की यह कविता जीवन जीने की प्रेरणा देती है …..!!

  2. जीबन की सच्चाई से रूबरू कराती पंक्तियाँ औऱ हार न मान ने की प्रेरणा से भरी ‘बच्चन’जी की कविता।
    धन्यवाद ।

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