क्योँ नही बहलाती मुझे माँ !
याद उतनी ही है तेरी इस जेहन में बसी,जैसे तेरी उँगलियाँ छु चल पड़ा इन राहों में ! और ना तुने रोका, कुछ तो कहा होता..में इन राहों में चलता …
क्योँ नही बहलाती मुझे माँ ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
याद उतनी ही है तेरी इस जेहन में बसी,जैसे तेरी उँगलियाँ छु चल पड़ा इन राहों में ! और ना तुने रोका, कुछ तो कहा होता..में इन राहों में चलता …
क्योँ नही बहलाती मुझे माँ ! Read Moreशब्द जब रंग मंच पर उतरे !अपने अपने किरदार को खेले ! में खरा वहाँ मुसकाता रहा, हर उलझन को सुलझाता रहा ! ये आहट किस और से आती है …
Morning Again ..! Read More