क्योँ नही बहलाती मुझे माँ !

याद उतनी ही है तेरी इस जेहन में बसी,जैसे तेरी उँगलियाँ छु चल पड़ा इन राहों में ! और ना तुने रोका, कुछ तो कहा होता..में इन राहों में चलता …

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Morning Again ..!

शब्द जब रंग मंच पर उतरे !अपने अपने किरदार को खेले ! में खरा वहाँ मुसकाता रहा, हर उलझन को सुलझाता रहा ! ये आहट किस और से आती है …

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