होली रंगों के त्यौहार पर –
अपने घर से दूर मेरे मन ने रंगा दिया कई रंगों में ..
हम रंगों से दूर उमंगो से दूर ! !
वो क्या था होली का सुरूर ! !
थी ध्माचौकरी घट घट पर ,
थे सने रंग गुलाल हर अम्बर पर ! !
नाच उठे बच्चे, बूढ़े और जवान ,
जो गी रा सा रा ने जब छेरा गान ! !
इस होली पर उस होली की ,
यादें जो मेरी रंगी रहीं ! !
इन आँखों में जो रंग है ,
चलो वो होली का ही सही ! !
रचना : सुजीत कुमार लक्की
4 thoughts on “होली – इन आँखों में जो रंग है – My Holi 2010”
Vivek Rastogi
(March 1, 2010 - 8:20 am)होली की शुभकामनाएँ ।
मुंहफट
(March 1, 2010 - 11:05 am)होली पर हार्दिक शुभकामनाएं. पढ़ते रहिए http://www.sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम
Udan Tashtari
(March 1, 2010 - 2:42 pm)बढ़िया
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
सुलभ § सतरंगी
(March 3, 2010 - 4:39 am)आँखों में रंग हमेशा कायम रहेगी…
होली की शुभकानाएं !!
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