Sujit Kumar Lucky - मेरी जन्मभूमी पतीत पावनी गंगा के पावन कछार पर अवश्थित शहर भागलपुर(बिहार ) .. अंग प्रदेश की भागीरथी से कालिंदी तट तक के सफर के बाद वर्तमान कर्मभूमि भागलपुर बिहार ! पेशे से डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल.. अपने विचारों में खोया रहने वाला एक सीधा संवेदनशील व्यक्ति हूँ. बस बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ . "यादें ही यादें जुड़ती जा रही, हर रोज एक नया जिन्दगी का फलसफा, पीछे देखा तो एक कारवां सा बन गया ! : - सुजीत भारद्वाज
5 thoughts on “वो चले गए – wo Chale gaye”
Udan Tashtari
(November 21, 2009 - 12:03 am)बहुत भावपूर्ण!!
थोरा=थोड़ा
कर लिजिये!
विंकल
(November 23, 2009 - 11:54 am)हम भी मगरूर पूछ ही लिया ,
कब आओगे लौट के,
वो बस अपना सर झुका के गए !
सोचा कुछ तस्वीरे थी किताबो पर ,
पर देखा था वो उनको भी मिटा के गए
umda rachna hai…..
par jaise udan ji ne kha ki thoda shabdon ko clear likha karo jisse or bhi nikhar hoga or pathkon ka sarlata se samjh mein aayega….
jo bhi hai rachan umda likhi gayi hai…..
सुलभ सतरंगी
(November 30, 2009 - 4:32 am)भाव पक्ष खुलकर सामने आये हैं.
एक अच्छी रचना.
हरकीरत ' हीर'
(December 1, 2009 - 10:19 am)कहा मैंने भी ,
निकल जा मन तू भी राह अपनी ,
जब वो दामन ही छुरा के गए !
अब तो यादों का था साथ अपना,
शायद वो उनको भी भुला के गए !
ठिठका हुआ सा था में राह पर ही ,
पर वो चले गए , हमे तो रुला के गए ,
थोड़ा मुस्कुरा के गए !
सुंदर …..!!
कुछ टंकण की गल्तियाँ हैं सुधार लें …..प्रयास अच्छा है ……!!
neha
(May 9, 2011 - 9:12 am)awesome:) falling short of words to appreciate
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