गंगा आये कहाँ से ..
ये गंगा की धुँधली तलहटी या, या उसकी ममता का पसरा आँगन ! हर सुबह .. नजर आती है मंदाकनी का फैला जहाँ, और छितिज पर गुलाबी आभा मिलती हुई …
गंगा आये कहाँ से .. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
ये गंगा की धुँधली तलहटी या, या उसकी ममता का पसरा आँगन ! हर सुबह .. नजर आती है मंदाकनी का फैला जहाँ, और छितिज पर गुलाबी आभा मिलती हुई …
गंगा आये कहाँ से .. Read Moreएक निरीह रात .. कुछ बात .. आसमाँ में देखो चाँद की बेरुखी ! ये डर ..भय .. रात का सन्नाटा ! ये पुराने पहाड़ों में दफ्न राज आहिस्ता ! …
एक निरीह रात – A Painting Read Moreजाँच कभी परताल कभी.. हर राह परे बेहाल सभी .. जो उस रात को तुम जब सोये वहीँ, भाग गया काले धन का राज कहीं ! कोई टोपी वाला आया …
महाभारत तो उसे बनानी थी Read Moreयादों की परछाई उभरी ! मेरा मन था छु ले, जा लिपट जाये, और पूछे कुछ सवाल ! मेरी चेतना से परे एक दीवार, या थी भ्रम की कुछ लकीरे …
यादों की परछाई Read Moreसुख, चैन , और छिना मेरा शहर, और कहते मेरे खुदा तुम मुझसे .. अब तेरी मेरी बनती नही ! ! (: छूटे साथी और संग, बदला बदला हर रंग, …
अब तेरी मेरी बनती नही ! Read Moreना कोई डाँटता, ना ही फ़िक्र रहती साँझ से,पहले लौट जाये घर को .. हाँ लौट आते है, घिरे घिरे से बड़े बस्ती के लोगो के बीच से.. चुप चाप …
उधर का वक्त तनहा ! Read More