जीवन संघर्ष से कैसा डर …
नियति पर नियंत्रण नहीं, परिस्थितियों का मौन आवरण, क्यों मन तू होता आकुल ? व्यर्थ के चिंता से व्याकुल ! तू पार्थ सा संग्राम में, नियति को दे आमंत्रण, चुनौती …
जीवन संघर्ष से कैसा डर … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
नियति पर नियंत्रण नहीं, परिस्थितियों का मौन आवरण, क्यों मन तू होता आकुल ? व्यर्थ के चिंता से व्याकुल ! तू पार्थ सा संग्राम में, नियति को दे आमंत्रण, चुनौती …
जीवन संघर्ष से कैसा डर … Read More
तुम आओ लौट के, देखो सिलवटें बिछावन की, वैसी ही है अब भी । बिखरे बिखरे से पड़े है, सारे सामान मेरे तुम्हारे । देखो हरतरफ हरजगह की, सब चीजेँ …
तुम आओ लौट के … Read More
रात अकेली है रो लो, गिरा लो आँसू कोरो से, बस सुबह जब निकलों, इस तरह की बनावट ले निकलना, चेहरों पर ; न शिकन ही रहे कोई न बचे …
रात और सुबह Read More
अजब कशमकश में घेर लेती ये जिक्र तेरी, हर कोशिश मेरी दूर जाने की कुछ काम ना आती ! #इश्क़ अलविदा से किसी और जहाँ में रह, मैं फिर भी …
इश्क़ – 5 Read More
वो रिश्ते जो अबूझ थे अच्छे थे, ठूठ पेड़ की तरह, न कोई हलचल थी, न कोई हवाएँ और न ही बढ़ते वो किसी की तरफ, बिना पहचान के खड़े …
बेअदब अदब रिश्ते … Read More
बारिश से भींगे ये रास्ते, चहलकदमी के निशान, पत्तों पर फिसलती बूंदे, उथले उथले गड्ढों में पानी, सूखे पत्ते कीचड़ से सने हुए, आसमान में मेघों का झुंड, रुक रुक …
सावन यूँ ही उतरा है आँगन में Read More