रंग फीका फाल्गुन !
चहुतेरे कूके कोयल, बहका बहका शिशिर, महका महका बसंत, चहका चहका फाल्गुन ! गलीचे में छुपा गम ही गम, कहना कैसा १०० भी है कम, [ कुछ आती घर की …
रंग फीका फाल्गुन ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
चहुतेरे कूके कोयल, बहका बहका शिशिर, महका महका बसंत, चहका चहका फाल्गुन ! गलीचे में छुपा गम ही गम, कहना कैसा १०० भी है कम, [ कुछ आती घर की …
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शाम की धमाचौकरी को एक फटकार विराम लगाती थी, पैर पखारे सब लालटेन तले अपनी टोली सी बन जाती थी! जोर जोर से पड़ते थे, हिंदी की किताबे.. लगता था …
लालटेन तले.. ! Read More
Quiet between the four walls, My Hand covered lament eyes, It is a city where dreams decorated, Why this city shatter my all dreams.. An acquaintance that was left behind, …
Silent Samurai Read More
ये गंगा की धुँधली तलहटी या, या उसकी ममता का पसरा आँगन ! हर सुबह .. नजर आती है मंदाकनी का फैला जहाँ, और छितिज पर गुलाबी आभा मिलती हुई …
गंगा आये कहाँ से .. Read More
एक निरीह रात .. कुछ बात .. आसमाँ में देखो चाँद की बेरुखी ! ये डर ..भय .. रात का सन्नाटा ! ये पुराने पहाड़ों में दफ्न राज आहिस्ता ! …
एक निरीह रात – A Painting Read More
जाँच कभी परताल कभी.. हर राह परे बेहाल सभी .. जो उस रात को तुम जब सोये वहीँ, भाग गया काले धन का राज कहीं ! कोई टोपी वाला आया …
महाभारत तो उसे बनानी थी Read More