पत्थर का बुत !
एक बार — ! यूँ किसी हमराह का असर है..! ये पत्थर का बुत भी करवटें बदलता है ! पर .. हमे डर है पत्थर का बुत कहीं इंसान ना …
पत्थर का बुत ! Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
एक बार — ! यूँ किसी हमराह का असर है..! ये पत्थर का बुत भी करवटें बदलता है ! पर .. हमे डर है पत्थर का बुत कहीं इंसान ना …
पत्थर का बुत ! Read More
इन राहों से कितने बिछड़े,जहाँ हर सुबह महफ़िल बनती थी, पूछते थे खबर हर यारों की, तेरे रंग मेरे रंग बादलों सी सजती,मन सपने बुनती संवरती..और फिर धुँधली सी परती …
थे साथ कभी – All Together ?? Read More
दो झूले और बच्चे कतार में, फीकी हरयाली इस छोटे से बाग में ! पेड़ छोटे, इस शहर की रंगचाल में,दायरा आसमां ने भी समेटा,लंबी लैम्पपोस्टो की आढ़ में ! …
एक साँझ की हलचल – An Evening Swirl Read More
कुछ यूँ बीती रात लंबी हो चली थी,दबा रखे थे सवाल कई.. तुमसे पूछेगे..!आज कोई फिर आके आवाज दे गया जैसे ! हो फिर मोह कोई तुझसे,या तृष्णा कुछ, जो …
ख़ामोशी लिपटी थी …. Read More
सुनी सी ये शाम है अब की,दिन दुपहरी लगती वैशाखी ! कुछ रंग फीके लगते इस जग के,ये मन अपना किस तलाश में भागे, कभी कोसता नाकामी पल को,लगा सपनों …
मन – An Inner Inner Conscience Read More
एक विचार : सोशल मीडिया की आलोचना सोशल मीडिया की आलोचना करना वर्तमान संदर्भ में सर्वथा उचित नही है !हर पक्ष के दो पहलु होते, परमाणु बम सी विध्वंशक शक्ति का …
Social Media Criticism – एक विचार Read More