Micro Audio Poetry M01 – By Sujit

जब प्रकृति नहीं रुकी तो हम क्यों रुके । विध्वंस के ताकतों को बताना होगा हम सृजन के संग है, हमारी उत्कट जिजीविषा ही हमें जिंदा रखेगी । #SK

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यायावर ..

हम जब किसी दूसरे शहर में जाते और वहाँ रहने लगते, वहाँ की गलियाँ, वहाँ की रातें, मिलते जुलते लोग, अजनबी रास्तों के साथी और बीता वक़्त एक यादों का …

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हम जन-गण-मन को गायेंगे ….

गैस पानी की लाइन में, हम कागज़ लेकर जायेंगे ! मुफ्त की सब्सिडी पाने को, हम कागज़ को दिखायेंगे ! दुष्प्रचार को करने को, मुँह ढक-ढक कर आयेंगे ! मेट्रो-बस …

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इस शाम में उदासियाँ लपेट मैं ….

इस शाम में उदासियाँ लपेट मैं चुपचाप यूँ ही कहीं .. खामोशियों से लड़ते हुए, थककर बहुत ऊब कर बैठा हूँ … नदी के किनारे कुछ दुर से, बलुवा जमीन …

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