Micro Audio Poetry M01 – By Sujit
जब प्रकृति नहीं रुकी तो हम क्यों रुके । विध्वंस के ताकतों को बताना होगा हम सृजन के संग है, हमारी उत्कट जिजीविषा ही हमें जिंदा रखेगी । #SK
Micro Audio Poetry M01 – By Sujit Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
जब प्रकृति नहीं रुकी तो हम क्यों रुके । विध्वंस के ताकतों को बताना होगा हम सृजन के संग है, हमारी उत्कट जिजीविषा ही हमें जिंदा रखेगी । #SK
Micro Audio Poetry M01 – By Sujit Read Moreदूर क्षितिज के एक छोड़ पर नदी किनारे शाम ढलती हुई ऊपर चाँद की दस्तक है ऐसे जैसे ठिठक गया है वक़्त रात और दिन के बीच कहीं इस अनवरत …
प्रकृति की ओर .. Read Moreबीतते दिन का मंजर ऐसा है , जैसे उम्र पतझड़ सी जिंदगी । बोझिल मन ऐसा होता, जैसे शाम उतर आयी हो सीने में । झुरमुटों में कैद दिन का …
बीतते दिन का मंजर … Read Moreहम जब किसी दूसरे शहर में जाते और वहाँ रहने लगते, वहाँ की गलियाँ, वहाँ की रातें, मिलते जुलते लोग, अजनबी रास्तों के साथी और बीता वक़्त एक यादों का …
यायावर .. Read Moreगैस पानी की लाइन में, हम कागज़ लेकर जायेंगे ! मुफ्त की सब्सिडी पाने को, हम कागज़ को दिखायेंगे ! दुष्प्रचार को करने को, मुँह ढक-ढक कर आयेंगे ! मेट्रो-बस …
हम जन-गण-मन को गायेंगे …. Read Moreइस शाम में उदासियाँ लपेट मैं चुपचाप यूँ ही कहीं .. खामोशियों से लड़ते हुए, थककर बहुत ऊब कर बैठा हूँ … नदी के किनारे कुछ दुर से, बलुवा जमीन …
इस शाम में उदासियाँ लपेट मैं …. Read More