दो कदम चल टूट जाता ..
ये सब्र ही है है जो दो कदम चल टूट जाता; पूछता नहीं तुमसे क्या साजिशे किसकी ! हर रिश्ता कैसा जाना अनजाना छुट जाता; सोचता नहीं अब क्या दोहमते …
दो कदम चल टूट जाता .. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
ये सब्र ही है है जो दो कदम चल टूट जाता; पूछता नहीं तुमसे क्या साजिशे किसकी ! हर रिश्ता कैसा जाना अनजाना छुट जाता; सोचता नहीं अब क्या दोहमते …
दो कदम चल टूट जाता .. Read More
गाँव में ख्वाब पुरे होते नहीं, शहरों में नींद कभी आते नहीं ! फोन इतने बड़े हाथों में आते नहीं, बात दिलो तक अब जाते नहीं ! चुप से सुनते …
कभी आते नहीं – The Contrast of Life !! Read More
जिस्म थक जाता है दिन से रूबरू होकर … नींद से पहले जो आधे अधूरे थोड़े से, अब जो भी ख्वाब आ जाते मैं उन्हें समझा दूँगा ! आठ पहर …
अब जो भी ख्वाब आ जाते … Read More
नव वर्ष जैसे बारह खानों में फिर सजेगी बिसातें, हर दिन की कहानी और किरदारों का रंगमंच ! कुछ कोसते हुए चालें चाली गयी होंगी, कुछ दंभ टूटा होगा किसी …
नव वर्ष – फिर सजेगी बिसातें ! Read More
सर्द हवाओं ने ये महसूस कराया; फ़िक्र लौट आयी थी उनकी आज ! फिर कुछ सरसरी हवा छु गयी होगी, फिर अब बचपन लौट गयी होगी ! ना मानी होगी …
शीत की आँगन ! Read More
मैं अब कैसे शिकायत भी करू तुमसे, तुम खफा हो के कुछ और दूर चले जाओगे ! ये फासले या वक्त की क्या साजिशे थी, कुछ खोने का अहसास अब …
कुछ खोने का अहसास ! Read More