दो कदम चल टूट जाता ..

ये सब्र ही है है जो दो कदम चल टूट जाता; पूछता नहीं तुमसे क्या साजिशे किसकी ! हर रिश्ता कैसा जाना अनजाना छुट जाता; सोचता नहीं अब क्या दोहमते …

दो कदम चल टूट जाता .. Read More

कभी आते नहीं – The Contrast of Life !!

गाँव में ख्वाब पुरे होते नहीं, शहरों में नींद कभी आते नहीं ! फोन इतने बड़े हाथों में आते नहीं, बात दिलो तक अब जाते नहीं ! चुप से सुनते …

कभी आते नहीं – The Contrast of Life !! Read More

अब जो भी ख्वाब आ जाते …

जिस्म थक जाता है दिन से रूबरू होकर … नींद से पहले जो आधे अधूरे थोड़े से, अब जो भी ख्वाब आ जाते मैं उन्हें समझा दूँगा ! आठ पहर …

अब जो भी ख्वाब आ जाते … Read More

नव वर्ष – फिर सजेगी बिसातें !

नव वर्ष जैसे बारह खानों में फिर सजेगी बिसातें, हर दिन की कहानी और किरदारों का रंगमंच ! कुछ कोसते हुए चालें चाली गयी होंगी, कुछ दंभ टूटा होगा किसी …

नव वर्ष – फिर सजेगी बिसातें ! Read More