तुम आना फिर ..
तुम आना फिर ..पहली दफा जैसे अजनबी के तरह,पूछना सकुचाते हुए नाम और शहर । कुछ दिन करना बातें अनमने ढंग से,सुबह शाम छोटे छोटे शब्दों में,खत्म करना रोज की …
तुम आना फिर .. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
तुम आना फिर ..पहली दफा जैसे अजनबी के तरह,पूछना सकुचाते हुए नाम और शहर । कुछ दिन करना बातें अनमने ढंग से,सुबह शाम छोटे छोटे शब्दों में,खत्म करना रोज की …
तुम आना फिर .. Read Moreआओ मिलो सुबह से कभीहल्की सी रोशनी अंधेरों के बीचऔर पंछियों की कलरव हो । ये सभी पेड़ पौधे आतुर से मिलेंगेपूरी रात अकेले गुमसुम से थे खड़े । थक …
आओ मिलो सुबह से …. Read Moreधूप चढ़ती हुई रोज … सूखे पत्ते टूट कर बिखरे बिखरे, जैसे कोई कह गया हो, अलविदा पुराने रिश्तों को । बदलते मौसम के साथ … खो रही नमी भी …
बिखरे पत्ते … Read More(वर्तमान परिदृश्य पर कुछ पंक्तियाँ …… ) कानों पर हाथ रख लेने से शोर खत्म नहीं होता, बस कुछ देर तक ही रोक पाते है, अपने आस पास के कोलाहल …
शोर …. Read Moreगली में आवाजें लगाता वो, माथे पर बड़ी सी टोकड़ी जैसे, सामानों का जखीरा उठा रखा हो । उसकी आवाज़ें कौतूहल से भरी, विवश करती खिड़की से झाँकने को, बच्चे …
फेरीवाले की आवाज .. लॉक – अनलॉक जिंदगी ! Read Moreइंसान जड़त्व को स्वीकार नहीं कर सकता । इस वैश्विक महामारी ने हमारे अंदर जड़त्व को ला दिया है । खिलाड़ी खेले नहीं, एक्टर अभिनय नहीं करें, छात्र पढ़े नहीं, कर्मी …
घुटन .. लॉक – अनलॉक के बीच ! Read More