ये पुरवा हवा..
ये पुरवा हवा.. काश इसे कैनवास पर उतारा जा सकता; शब्दों में बांधा जा सकता; या किसी संगीत में इसे समाया जा सकता; अपने संवेग से अल्हड़ बन ये बहता …
ये पुरवा हवा.. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
ये पुरवा हवा.. काश इसे कैनवास पर उतारा जा सकता; शब्दों में बांधा जा सकता; या किसी संगीत में इसे समाया जा सकता; अपने संवेग से अल्हड़ बन ये बहता …
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थम गये हैं हम और तुम भी ; नहीं थमा ये वक़्त का पहिया ; चलता रहा दुर जाता रहा ; अब सफर के दो दिशाओं में ; मुमकिन न …
थम गये हैं .. Read More
दोपहर पर कितना कुछ है लिखने के लिये ~ कुछ मित्रों ने कहा ये दोपहर इतना उपेक्षित क्यों ; तो एक कविता “दोपहर” पर कोशिश करिये ; एक दोपहर , …
दोपहर Read More
बचपन में गाँव में याद है – विनिमय प्रणाली से हम बर्फ के गोले, खिलौने खरीदते थे ! आज के बच्चे “चाइल्ड डेबिट कार्ड” से आइसक्रीम खरीद लेते या मोबाइल …
बर्फ वाला Read More
उस रात नींद भी तो नहीं आई थी ; सर पर विक्स और बाम ने कुछ आराम दिया तो झपकी ली ; बीच में घड़ी का पता नहीं मोबाइल को …
Take Care ! ~ Inbox Love – 9 Read More
एकदम रात का सन्नाटा, ध्यान से सुनो, दिन के दबे सिसके बातों की प्रतिध्वनि; कहीं ख्वाब जलने की तो कहीं उम्मीद सुलगने की गूँज ! उस दिन काफी खामोशी के …
Atonement of Words – IN Night & Pen / Inbox Love -8 Read More