बारिश …
प्रकृति को महसूस करें तो कितने ही जीवन रंग इसमें छुपे है ; मानसून की बारिश रोज ही रुक रुक के होती, एक लम्बी उमस के दिनों के बाद जब …
बारिश … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
प्रकृति को महसूस करें तो कितने ही जीवन रंग इसमें छुपे है ; मानसून की बारिश रोज ही रुक रुक के होती, एक लम्बी उमस के दिनों के बाद जब …
बारिश … Read More
जिद मैंने भी और तुमने भी कर ली ; रुठने के कोई बहाने नहीं थे ; थी तो एक जिद; तुम्हारे पास भी और हमारे पास ! मैंने जिद की …
जिद …. Read More
एक आदत सी इधर से डाली है, रोज ऊपरी मंजिल पर आ मैं, पेड़ की झुरमुटों में चाँद देखा करता, एक दिन पूरा था तुम्हारी तरह, हजारों सितारों के बीच …
चाँद और तुम ….. Read More
बचपन में इस मंदिर में आके हाथों को ऊपर करके इसे छूने का प्रयत्न करते थे ; तभी पीछे से कोई आके गोद में उठा के हाथों को पहुँचा देता …
मंदिर की घण्टियाँ ….. Read More
अब पूरी तरह नहीं ढाला जा सकता शक्ल में ; मन के किसी कोने में अब किसी तस्वीर का धुंधला सा प्रतिविम्ब है जिसने उँगलियों को जैसे बरबस पकड़ के …
एक चित्र से वार्तालाप … Read More
निर्वात पथ पर अब संवाद नहीं ; व्यर्थ वक़्त का तिरस्कार नहीं ! शून्य सफर पर अब श्रृंगार ही क्या ? विचलित पथ का उपहास ही क्या ? मौन पड़े …
निर्वात पथ पर …. Read More