Birds - Ignorance emotional poem

उपेक्षा ….

स्नेह, उपेक्षा, मायूसी, विक्षोभ के इर्द-गिर्द घुमती एक कविता !!! उपेक्षा कल्पित चित्र था सुबह का , दो पंछी रोज आते थे , बरामदे पर आके चहलकदमी करते, तेरी आवाज …

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Festival Season Poem

लौट आये त्यौहार वाले ..

त्यौहार में अपनों का आना, फिर उनका वापस लौट जाना ; अधिकांश राज्यों के लोग महानगरों में कार्यरत है, कुछ शब्द जो इस त्यौहार में उनके आने और वापस जाने …

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migratory birds poem

प्रवास के परिंदें ..

कई मौसम इक इक करके बीते ; प्रवास के परिंदें इस बार नहीं लौटे ! सावन बीता शीत की रातें भी लौटी, लौटी बातें और सारी यादें भी लौटी, प्रवास …

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ravan dahan - vijyadashmi

रावण जो तेरे अंदर बैठा है …

कागज़ों के रावण ही जलेंगे अब, एक रावण मन में भी तो बैठा है ! द्वेष नफरत खिली चेहरे पर, त्योहारों पर पहरा बैठा है ! सीख भजन की दब …

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writers pen

कलम है तो चेतना लिखें ….

लेखकों के पुरस्कार लौटाने की परम्परा से असहमत हूँ ; आप समाज और सरकार से असंतुष्ट होने पर बस अपना पुरस्कार लौटा अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे ; आप समाज …

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