बस देखो ढूंडो यही कहीं होगी गांडीव परी – India’s Independence Day

हजारे हजार अब जलने दो, साख को मशालो में भरने दो, अब लड़ना है दुह: शासन से, मद में सत्ता ने पी मदिरा, देश चलाने का बस है झगड़ा ! …

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अर्थविहीन – Meaningless

द्वन्द क्यों उठ गया आज, जैसे अतीत खाते गोते लम्हों में, दीवार पुरानी दरारे सीलन भरी, बोझिल सा हुआ इरादा सहने का, सुनी एक आवाज खुद से उठती ! ढाई …

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यारों बीते ना ये पल कभी !

हर मोड मे यूँ मिल जाते हो, कैसे माने चले गए थे कहीं ! ख़ामोशी का सबब ले बैठते जब हम, तो चुपके से गुन गुनाते हो कहीं ! मायूस …

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