उजाड़…
उजाड़ दिन , जैसे कुछ किताबें इधर उधर हो बिस्तर पर , कपड़े मुड़े सिमटे फेंकें हुए , क्या कहाँ किस ओर क्या पता , घण्टों खोजो तो न मिलता …
उजाड़… Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
उजाड़ दिन , जैसे कुछ किताबें इधर उधर हो बिस्तर पर , कपड़े मुड़े सिमटे फेंकें हुए , क्या कहाँ किस ओर क्या पता , घण्टों खोजो तो न मिलता …
उजाड़… Read Moreजब भी बादल छाता है मेरा बचपन लौट जाता है ; वो कागज की नाव, वो छोटी सी छतरी , भीगे से जुते, बारिश में खेल, वो गिरना फिसलना , …
बचपन और बादल Read Moreशायद मैं या मेरे समकक्ष उम्र के लोग उस पीढ़ी से आते है जिसने लालटेन के नीचे शाम को पैर हाथ धो के गोल घेरे में सामूहिक पढ़ाई की होगी …
गर्मियाँ – बच्चों का इको टूरिज्म ! Read Moreधृतराष्ट्र संजय से – क्या हो रहा हस्तिनापुर में ; महाराज बुलेट ट्रेन की चाह रखने वाले ; पटरी उखाड़ ले गए । आज भारतवर्ष बंद था तो महाभारत का …
संजय उवाच – भारत बंद ! Read Moreलोकतंत्र के जंगल मे शेर की खाल पहन भेड़ियों का शासन है… यहाँ हर तरफ अराजकता ही अराजकता है मजदूर, छात्र, किसान, नौकरीपेशा, उद्यमी सब 70 साल से मूर्खों की …
लोकतंत्र के जंगल – Random Thought Read Moreजीवन के श्वेत श्याम पट्ट पर, कुछ तस्वीर आ उभरे है ; गोद में कोई कौतुहल से, अटखेलियाँ करता ; देखता दीवारों पर बनती परछाइयों को, हिलती डुलती आभायें , …
Sillhoutes Of Life ….. Read More