
बिखरे पत्ते …
धूप चढ़ती हुई रोज … सूखे पत्ते टूट कर बिखरे बिखरे, जैसे कोई कह गया हो, अलविदा पुराने रिश्तों को । बदलते मौसम के साथ … खो रही नमी भी …
बिखरे पत्ते … Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
धूप चढ़ती हुई रोज … सूखे पत्ते टूट कर बिखरे बिखरे, जैसे कोई कह गया हो, अलविदा पुराने रिश्तों को । बदलते मौसम के साथ … खो रही नमी भी …
बिखरे पत्ते … Read Moreआजकल का मौसम, दिन भर जलती हुई पछिया हवा, निर्जन सड़के, चिलचिलाती धुप, बेजार मन ! एक कविता इसी संदर्भ में … सड़कों पर रेगिस्तान उतर आया है, पछिया बयार …
निर्जन मन … Read More