झुरमुटों में कैद दिन
पेड़ों की झुरमुटों में कैद दिन और इस दिन की गिरफ्त में जिंदगी कितनी तपिश है पत्तों पर आग सी आभा जो जलाने को आतुर कुम्हला के भी मुस्कुराती ये …
झुरमुटों में कैद दिन Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
पेड़ों की झुरमुटों में कैद दिन और इस दिन की गिरफ्त में जिंदगी कितनी तपिश है पत्तों पर आग सी आभा जो जलाने को आतुर कुम्हला के भी मुस्कुराती ये …
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Someone Smile… Spreading Hues! Eastern Wind… Makes me Clumsy! Summer Sky… Little Cloudy! My Morning Ode… A Ringing Rhyme! It Moves My life… It makes my life!! #MicroPoetry – Sujit
Morning Rhyme – #MicroPoetry Read More
अम्बर की ये तीखी किरणे,धरा लगी ऊष्मा को सहने,नदियाँ लगी उथले हो बहने ! शुष्क जमीं सब सूखा झरना,लगा पतझर में पत्तों का गिरना ! सड़क सुनी, गलियाँ भी खाली,इतवारी …
A Sunday of Summer Read More
कैसे सावन आये तुम बिन गहने !छितिज धरा सब धुल उराये,नभ के बदल बन गये पराये, उमड़ घुमड़ तुम आते ऐसे !कसक मन की भी जाती जैसे,जग चर की तुम …
बरसों सावन – Waiting For Rain Read More
पतझरों से उजरे उजरे दिन लगते , दुपहरी है अब लगती विकल सी ! वैसाख के इस रूखे दिन तले, कभी बचपन में सोचा करते थे ! और चुपके आहिस्ता …
वैसाखी दुपहरी ! Read More