
निर्वात पथ पर ….
निर्वात पथ पर अब संवाद नहीं ; व्यर्थ वक़्त का तिरस्कार नहीं ! शून्य सफर पर अब श्रृंगार ही क्या ? विचलित पथ का उपहास ही क्या ? मौन पड़े …
निर्वात पथ पर …. Read MoreThe Life Writer & Insane Poet
निर्वात पथ पर अब संवाद नहीं ; व्यर्थ वक़्त का तिरस्कार नहीं ! शून्य सफर पर अब श्रृंगार ही क्या ? विचलित पथ का उपहास ही क्या ? मौन पड़े …
निर्वात पथ पर …. Read Moreसहूलियत से हर दफा किस्सा छेरते, कभी कशमकश में हाल पूछा होता !किस कदर अब ना कोई हँसता है, बस सवाल की गहराहियों में दफ्न हो, क्या कुछ सोचता है …
कुछ पूछा होता – Sometimes I feel ? Read Moreये सन्नाटा फिजाओं का, किसी तुफां से कम नहीं ! ये ख़ामोशी ..मेरी खता पर किसी सजा से कम नहीं .. ! धुल सरीखी राहें और रेत के फाहे.. उड़ा …
कम नहीं ! Read More